(बड़ी खबर) IIT रुड़की और नेम टेक भविष्य के युवाओं को करेगी तैयार,समझौते पर हस्ताक्षर।।


आईआईटी रुड़की ने अनुभवात्मक इंजीनियरिंग शिक्षा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए नेमटैक के साथ साझेदारी की

● उन्नत विनिर्माण एवं स्थिरता में भविष्य के युवाओं को तैयार करने के लिए संयुक्त पहल।
● इंटर्नशिप, अनुसंधान, संकाय विकास एवं उन्नत आयोजनों पर ध्यान केंद्रित करना।

रुड़की, उत्तराखंड, 21 November, 2024 – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) व न्यू एज मेकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (नेमटैक) ने भारत के विनिर्माण और कोर इंजीनियरिंग क्षेत्रों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करते हुए इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए अनुभवात्मक शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक सहयोग किया है। नेमटैक की स्थापना प्रतिष्ठित आर्सेलर मित्तल एवं निप्पॉन स्टील इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से एक सीएसआर पहल के रूप में की गई थी। एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करके, दोनों संस्थानों का उद्देश्य शैक्षिक सुधारों को बढ़ावा देना है जो शैक्षणिक कार्यक्रमों को उभरते उद्योग परिदृश्य के साथ संरेखित करते हैं।
इस समझौता ज्ञापन पर आईआईटी रुड़की के प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श के कुलशासक प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी और एनएएमटेक के महानिदेशक श्री अरुणकुमार पिल्लई ने हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह आईआईटी रुड़की में आयोजित किया गया, जिसमें दोनों संस्थानों के गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे, जिनमें आईआईटी रुड़की के निदेशक, प्रोफेसर के.के. पंत, एमआईईडी के प्रमुख प्रोफेसर अंदलीब तारिक, एनएएमटेक की बोर्ड सदस्य, संस्कारधाम के सलाहकार एवं पूर्व आईएएस डॉ. गौरी त्रिवेदी, एनएएमटेक के बोर्ड सदस्य, आर्सेलर मित्तल के वैश्विक उपाध्यक्ष श्री संजय शर्मा, कॉरपोरेट इंटरैक्शन के सह – कुलशासक प्रोफेसर साई रामुडू मेका, आईआईटी रुड़की के कई विभागों के प्रमुख और एनएएमटेक के स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के निदेशक डॉ. इब्राहिम हफीजुर रहमान शामिल थे।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने कहा, “यह सहयोग आईआईटी रुड़की और एनएएमटेक की संयुक्त शक्तियों का लाभ उठाने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है, जिससे उद्योग 4.0 के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता और स्थिरता चेतना से लैस इंजीनियरों की भावी पीढ़ी को बढ़ावा मिलेगा। हमें विश्वास है कि यह साझेदारी उन्नत विनिर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति लाएगी और मेक इन इंडिया के उद्देश्यों को साकार करने में योगदान देगी।”
एनएएमटेक के महानिदेशक श्री अरुणकुमार पिल्लई ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमें आईआईटी रुड़की के साथ साझेदारी करने पर गर्व है, जो एक प्रसिद्ध संस्थान है जिसने भारत के तकनीकी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सहयोग के माध्यम से, हमारा लक्ष्य एक अनूठा शिक्षण वातावरण बनाना है जो अकादमिक कठिनाइयों को उद्योग के अनुभव के साथ जोड़ता है, और हमारे छात्रों को उन्नत विनिर्माण और स्थिरता में भविष्य के नेता बनने के लिए तैयार करता है।”
डॉ. गौरी त्रिवेदी और श्री संजय शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिक्षा एवं उद्योग के बीच सेतु बनाने, प्रतिभा विकास को बढ़ावा देने और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देने में इस सहयोग के महत्व पर बल दिया।
यांत्रिक एवं औद्योगिक अभियांत्रिकी के प्रमुख प्रो. अंदलीब तारिक ने भविष्य के लिए तैयार कौशल के महत्व पर जोर दिया एवं अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ाने के लिए सक्रिय उद्योग-अकादमिक भागीदारी की वकालत की। उनके नेतृत्व में कार्यक्रम का समन्वयन किया गया।
आईआईटी रुड़की और एनएएमटेक उन्नत विनिर्माण एवं स्थिरता में प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं उद्योग जुड़ाव को आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी कर रहे हैं। अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों को मिलाकर, दोनों संस्थान नवाचार को बढ़ावा देने, प्रतिभा विकास को बढ़ावा देने और भारत के लिए अधिक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य में योगदान देने के लिए तैयार हैं। आईआईटी रुड़की के छात्रों को एनएएमटेक के औद्योगिक व्यावसायिक जुड़ाव कार्यक्रम के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा, साथ ही आईआईटी रुड़की में एनएएमटेक छात्रों के लिए संभावित इंटर्नशिप के अवसर भी मिलेंगे। उद्योग व्यावसायिकों के लिए संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, संकाय विकास कार्यक्रम और कार्यकारी कार्यक्रम नवाचार और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे। यह साझेदारी उद्योग-अकादमिक संबंधों को भी मजबूत करेगी, जिससे आईआईटी रुड़की और उद्योग भागीदारों के बीच सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान में वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, यह टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देगा, जो टिकाऊ भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता में योगदान देगा।
आईआईटी रुड़की और एनएएमटेक के बीच साझेदारी भारत में उन्नत विनिर्माण एवं स्थिरता शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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