आधी आबादी को दिया जा रहा है पूरा अधिकार।
न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी)
लखनऊ: 20 मार्च, 2025
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से आधी आबादी को पूरा अधिकार दिए जाने के सार्थक व सकारात्मक प्रयास अनवरत रूप से किये जा रहे हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की दीदियों के आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक विकास की दिशा में क्रान्तिकारी कदम उठाए गए हैं, जिसके बहुत ही उत्साहजनक परिणाम निखर कर आ रहे हैं। विद्युत सखी, बी सी सखी, बैंक सखी, समूह सखी, कृषि आजीविका सखी आदि के रूप में कार्य करते हुए प्रदेश में महिलाओं ने अपनी आजीविका संवर्धन में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। बी सी सखियों ने रू 89 करोड़ से अधिक और विद्युत सखियों ने रू 22 करोड़ से अधिक का लाभांश/कमीशन अर्जित कर जहां अपने परिवार की आमदनी बढ़ाई है, वहीं समाज में मान-सम्मान भी अर्जित किया है। यही नहीं यह दीदियां अन्य दीदियों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं। दीदियों में उत्साह का आलम यह है कि कई जिलों में महिला उद्यमी कार्यक्रम के अन्तर्गत दीदियां ई-रिक्शा चलाकर अच्छी आमदनी कर रही है। मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनियों के माध्यम से रू 32 करोड़ से अधिक का लाभांश महिलाओ द्वारा अर्जित किया गया है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती दीपा रंजन ने बताया कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) अंतर्गत समूह सदस्यों को बैंकिंग कैपिटल एवं उपकरण की खरीद हेतु सीड कैपटिल के रूप में 7044 सदस्योंको रू 16.68 करोड़ की धनराशि उद्यान विभाग से प्राप्त कर जनपदों को निर्गत की गयी है। एक लाख महिला उद्यमी कार्यक्रम अंतर्गत 1,00,000 महिला नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देते हुए 2,00,000 लोगो को रोजगार प्रदान करने की कार्यवाही प्रचलित है, जिससे प्रति लाभार्थी 20-24 हज़ार रूपए प्रति माह आय संभावित है। अभी तक 15000 से अधिक उद्यम स्थापित किय जा चुके हैं। ए-हेल्प कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश में पशुपालन विभाग के साथ अभिसरण के माध्यम से 10000 पशु सखियों को ए-हेल्प एजेंट, रेशम उत्पादन कार्यक्रम में 2500 समूह के सदस्यों को उत्पादक समूहों के माध्यम से संगठित करते हुए रेशम उत्पादन का कार्य, मत्स्य पालन निदेशालय और नेचर जेनिक्स के साथ तकनीकी सहयोग के माध्यम से 15000 महिलाओं को बायोफ्लॉक पद्धति से सिंघी मछली के उत्पादन हेतु अब तक 52 उत्पादक समूह का गठन करते हुए कार्यवाही की जा रही है।