बड़ी खबर (रामनगर) सीटीआर के निदेशक पहुंचे बाघ का शिकार हुई कौशल्या देवी के घर,परिजनों को सौंपी अनुग्रह राशि।।


समाचार सारांश टीम नेटवर्क रामनगर न्यूज़
कार्बेट टाइगर रिजर्व में अंतर्गत 05. नवंबर को ग्राम ढिकुली के समीप बाघ के साथ हुए संघर्ष में श्रीमती कौशल्या देवी पत्नी श्री लक्ष्मण सिंह रावत की मौत के बादआज कारपेट प्रशासन ने मृतक परिजनों के परिवार से घर पर जाकर मुलाकात की तथा वन्य जीव संघर्ष में होने के दौरान मिलने वाली विभागीय अनुग्रह राशि परिजनों को सौंपी।
गुरुवार को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के निर्देशक डॉ० साकेत बडोला, पीडित परिवार के घर पहुंचे तथा उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी गयी तथा मानव वन्यजीव संघर्ष नियमावली के तहत दी जाने वाली अनुग्रह राशि की अग्रिम धनराशि का चैक प्रदान किया । इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों के साथ मानव वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण हेतु विभिन्न मुददों पर चर्चा की एवं आपसी समन्वय के साथ मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए किये जा रहे प्रयासों के विषय में चर्चा की । इस दौरान बैठक में श्री राहुल मिश्रा, उप निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व, श्री अमित कुमार ग्यासीकोटी, उप प्रभागीय वनाधिकारी, बिजरानी, कार्बेट टाइगर रिजर्व, श्री राकेश नैनवाल, श्री अशोक खुल्ये, अध्यक्ष ई०डी०सी० ढिकुली श्री राजेन्द्र छिम्वाल, श्री जगदीश छिम्वाल, ग्रामीण तथा वन कर्मी उपस्थित रहें।

तपश्चात घटनास्थल के समीप डॉ० साकेत बडोला, निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा बाघ रेस्क्यू अभियान में सम्मिलित वनकर्मियों की भी बैठक ली गयी, जिसमें उन्होने रेस्क्यू टीम, रात्रि पैट्रोलिंग टीम तथा बाघ की गतिविधियों के मॉनिटरिंग हेतु कैमरा ट्रैप टीम को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उन्होने निर्देशित किया कि सम्बन्धित क्षेत्र में गश्त कार्य आवश्यक रूप से बढ़ाया जाये। दिवसीय गश्त के साथ रात्रि व हाथियों द्वारा गश्त कार्य के साथ ही बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने हेतु कैमरा ट्रैप एवं ड्रोन की भी सहायता ली जाये। क्षेत्र में लगाये गये पिंजरे की दैनिक रूप से मॉनिट्रिंग की जाये। इसके अतिरिक्त ग्रामवासियों/राहगीरों को जंगल के समीप व जंगल के अन्दर प्रवेश न करने की अपील की जाये व जागरूकता अभियान चलाये जाये। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग 309 के समीप स्थित गांवों और घरों, रेस्टोरेंट और ढाबों के लोगों तथा सड़क पर घूमने वालों को आगाह किया जाये कि वे अंधेरे में जंगल की ओर न जाये और सूर्यास्त के बाद सड़क पर घूमने के बजाय अपने घर लौट जाये, इसके अतिरिक्त रिजॉर्ट प्रबन्धकों को अपने स्टाफ की सुरक्षा करने का निर्देश दिया जाये कि रात में किसी भी प्रकार की आवाजाही को रोका जाये और यदि बाघ की आवाज सुनाई दे या दिखाई दे, तो तुरन्त निकटतम फॉरेस्ट चौकी को इसकी सूचना दे. ताकि किसी प्रकार की जनहानि न हो। वन कर्मियों द्वारा न केवल बाघ की निगरानी एवं गश्त के साथ-साथ रात्रि में राष्ट्रीय राजमार्ग 309 पर देर रात्रि आवश्यक कार्य हेतु पैदल घूमने वाले व्यक्तियों पर भी निगरानी की जाये। पैट्रोलिंग तथा बाघ चिन्हिकरण के कार्यों में लापरवाही न बरती जाये।

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