(समाचार सारांश टीम नेटवर्क)पुलिस की मेहनत लायी रंग।
पौड़ी पुलिस ने नाबालिग बालिका को सकुशल किया परिजनों के सुपुर्द, बेटी से मिलकर पिता हुए भावुक, बोले शुक्रिया पौड़ी पुलिस।
श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय पौड़ी श्री लोकेश्वर सिंह द्वारा सभी थाना प्रभारियों व एएचटीयू प्रभारी को अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत लावरिस घूमने वाले, मानसिक रुप से कमजोर व्यक्तियों का रेस्क्यू व गुमशुदाओं को सकुशल उनके परिजनों से मिलाने हेतु निर्देशित किया गया।
जिसके क्रम में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम कोटद्वार को रेलवे पुलिस कोटद्वार द्वारा सूचना दी कि एक नाबालिक बालिका कोटद्वार रेलवे स्टेशन के आस-पास घूम रही है, जिसे एएचटीयू टीम कोटद्वार द्वारा रेस्क्यू कर एएचटीयू कार्यालय लाया गया। तत्पश्चात टीम द्वारा सीडब्ल्यूसी के सदस्यों की उपस्थिति में अपनेपन का एहसास दिलाकर बालिका से पूछताछ की गयी तो बालिका ने अपना पूर्ण पता सही से नही बता पा रही थी। उक्त नाबालिक बालिका की सीडब्ल्यूसी द्वारा काउन्सिलिंग कराकर सुरक्षा के दृष्टिगत बाल सम्प्रेक्षण गृह सिम्बलचौड कोटद्वार में दाखिल किया।
30 सितंबर को एएचटीयू प्रभारी महिला उपनिरीक्षक सुमनलता मय टीम नारी निकेतन सिम्बलचौड़ गये जहां बालिका ने बताया कि मेरे पिताजी मेरठ रेलवे स्टेशन के पास रहते हैं जो कुछ समय पहले तक ऑटो रिक्शा चलाते है जहां सभी ऑटो वाले मेरे पापा को जानते हैं। जिस आधार पर एएचटीयू टीम कोटद्वार द्वारा मेरठ जीआरपी से सम्पर्क किया गया व वहां के ऑटो चालकों को उक्त बालिका के फोटो विडियो दिखाकर उसके परिजनों के बारे में जानकारी तो उनके द्वारा बालिका की पहचान कर बताया कि यह बालिका ऑटो चालक प्रकाश की लडकी है। तत्पश्चात प्रकाश द्वारा बालिका की अपनी पुत्री के रुप में पहचान कर बताया गया कि यह मेरी बेटी है यह मेरे साथ सहारनपुर गयी थी और वहां से बिछड़ गयी काफी खोजबीन करने के बाद भी उसका पता नही चल पाया और हम अपनी बेटी की लगातार खोजबीन कर रहे थे।
2 अक्टूबर को पुलिस टीम बालिका के पिता प्रकाश को नारी किशोरी बाल सम्प्रेक्षण गृह कोटद्वार लेकर आए जहां उसके पिता की काउन्सिलिंग कराकर उक्त बालिका को सकुशल उसके पिता प्रकाश के सकुशल सुपुर्द किया गया। बालिका के सकुशल मिलने पर पिता ने पौड़ी पुलिस का आभार व्यक्त कर धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
पुलिस टीम
- महिला उपनिरीक्षक सुमनलता
- महिला आरक्षी विद्या मेहता
- आरक्षी सत्येंद्र लखेड़ा
- आरक्षी मुकेश डोबरियाल