समाचार सारांश टीम नेटवर्क बातुमी । भारत की युवा शतरंज सनसनी दिव्या देशमुख ने फिडे महिला चेस विश्वकप का खिताब अपने नाम कर इतिहास रच दिया है। फाइनल में उन्होंने अपनी ही देश की दिग्गज कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेकर मुकाबले में मात दी। इस जीत के साथ ही १९ साल की दिव्या फिडे महिला विश्वकप जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गयी। इस जीत के बाद दिव्या भावुक हो गयी। ऐसे में एक तरफ भारत की एक बेटी की आंख में खुशी के आंसू थे तो दूसरी के फाइनल में पहुंचकर हारने का गम। अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने अपने से ऊंची रैंकिंग वाली ग्रैंडमास्टर और हमवतन कोनेरू हम्पी को फिडे महिला विश्वकप फाइनल के पहले और दूसरे गेम में कोई मौका दिए बिना ड्रा खेलने पर मजबूर किया था। इससे मैच टाईब्रेकर में पहुंचा था जहां दिव्या ने कोनेरु हम्पी को १.५-०.५ से पराजित किया। इस जीत से उन्होंने महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट २०२६ के लिए भी स्थान पक्का कर लिया है। हालांकि कोनेरु हम्पी भी उपविजेता बनने के साथ कैंडिडैट के लिए जगह बना चुकी है जो भारत के लिए दोहरी सफलता है।
(बड़ी खबर)दिव्या ने रचा इतिहास. किया भारत का नाम रोशन ।।
