बड़ी खबर(उत्तराखंड़) आईआईटी रुड़की में सतत ऊर्जा केंद्र ने सतत विकसित भारत 2047 तक रोड मैप पर हुआ राष्ट्रीय कार्यक्रम।।


आईआईटी रुड़की के सतत ऊर्जा केंद्र ने सतत ऊर्जा पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया

• आईआईटी रुड़की ने प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिक ऊर्जा समाधानों के बीच सेतु का कार्य किया
• आईआईटी रुड़की में राष्ट्रीय सम्मेलन में सतत ऊर्जा के लिए सनातन अंतर्दृष्टि की खोज की गई
• आईआईटी रुड़की ने विकसित भारत@2047 के लिए सतत ऊर्जा पर संवाद की अगुवाई की
• राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय ज्ञान प्रणालियों के माध्यम से हरित, आत्मनिर्भर भारत के लिए आईआईटी रुड़की के दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया गया
• आईआईटी रुड़की ने सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक तालमेल के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा का समर्थन किया
आईआईटी रुड़की, आईआईटी रुड़की में सतत ऊर्जा केंद्र ने “सनातन भारत में सतत ऊर्जा: विकसित भारत@2047 के लिए रोडमैप” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे पर्यावरणीय सद्भाव और चक्रीयता पर प्राचीन भारतीय ज्ञान संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी 7) और भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए एक शाश्वत आधार प्रदान कर सकता है।

आईआईटी रुड़की परिसर में आयोजित इस सम्मेलन में नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और विचारकों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। दो पैनल चर्चाओं में पारंपरिक भारतीय संधारणीय प्रथाओं की प्रासंगिकता और स्वच्छ और समावेशी ऊर्जा विकास के लिए भारत के समकालीन रोडमैप में इन्हें कैसे अपनाया जा सकता है, इस पर चर्चा की गई।

मुख्य अतिथि, उत्तराखंड विधानसभा की माननीय अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी ने जलवायु जिम्मेदारी पर छात्रों एवं स्थानीय समुदायों को संवेदनशील बनाने और एक सतत विकसित भारत की नींव रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सतत ऊर्जा केंद्र, विकसित भारत में सतत विकास हासिल करने के लिए समर्पित है। मैं उनकी सफलता की कामना करती हूं।”

आईआईटी रुड़की के कार्यवाहक निदेशक प्रो. यू.पी. सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और राष्ट्रीय ऊर्जा प्राथमिकताओं के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आईआईटी रुड़की में हम मानते हैं कि सतत विकास विज्ञान, नीति एवं विरासत के संगम से उभरना चाहिए। सतत ऊर्जा केंद्र भारत की कालातीत परंपराओं से प्रेरणा लेते हुए कम और शून्य कार्बन तकनीक विकसित करके इस दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। हमारी प्रतिबद्धता न केवल नवाचार के लिए है, बल्कि एक ऐसे भविष्य को आकार देने के लिए भी है जो लचीला, समावेशी और आत्मनिर्भर हो।”

इस सम्मेलन में शिक्षा जगत, उद्योग जगत एवं सरकार के प्रतिष्ठित विचारक शामिल हुए, जिनमें प्रोफेसर सपना राकेश (जी.एल. बजाज विश्वविद्यालय), मुनीश सभरवाल (आईएलएमएस विश्वविद्यालय), श्री अवनीश त्रिपाठी (यूएनआईएसईडी), डॉ. आर.के. मल्होत्रा (हाइड्रोजन एसोसिएशन ऑफ इंडिया), डॉ. बृजेंद्र नेगी (ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय), डॉ. तनु जैन (रक्षा मंत्रालय), एस.के. बोस (हाइड्रोकार्बन स्किल सेक्टर काउंसिल), और आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर आनंद बुलुसु एवं अनिल गौरीशेट्टी शामिल थे। उनकी सामूहिक अंतर्दृष्टि ने एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करने में योगदान दिया जो एक टिकाऊ विकसित भारत के लिए सनातन ज्ञान को आधुनिक स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के साथ जोड़ता है।

इस सम्मेलन के संयोजक एवं सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी के प्रमुख प्रो. सौमित्र सतपथी ने कहा, “सनातन भारत में पर्यावरण की रक्षा एवं स्थिरता के निर्माण की अवधारणा की एक प्राचीन परंपरा रही है। यह राष्ट्रीय सम्मेलन सनातन भारत से प्रमुख शिक्षाओं को लेकर विकसित भारत के विकास के लिए एक रोडमैप प्रदान करेगा।”

इस कार्यक्रम ने वैश्विक स्थिरता चुनौतियों का समाधान करने के लिए पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने में आईआईटी रुड़की के नेतृत्व की पुष्टि की। सतत ऊर्जा केंद्र के माध्यम से, आईआईटी रुड़की विकासशील भारत@2047 और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के लिए राष्ट्र के दृष्टिकोण के साथ जुड़े नवाचार, समावेशिता एवं पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार समाधानों को बढ़ावा देना जारी रखता है। वैज्ञानिक उत्कृष्टता एवं सांस्कृतिक विरासत दोनों में अनुसंधान, नीति और सामुदायिक आउटरीच को आगे बढ़ाकर, संस्थान एक टिकाऊ और आत्मनिर्भर भविष्य के लिए एक परिवर्तनकारी एजेंडा निर्धारित कर रहा है।


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