गेमिंग भारत का नया ‘चाय ब्रेक’ है, और यह हमारे भविष्य के बारे में बहुत कुछ बताता है
आपका आजकल का रोज़ाना का टाइमपास क्या है? इंस्टाग्राम रील्स चलाना? एक कप चाय कि चुस्की यूँही हर थोड़ी देर में लेना? या फिर झटपट एक राउंड कैश रम्मी खेल लेना? अगर आपने आख़िरी वाला ऑप्शन चुना हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। करोड़ों भारतीयों के लिए casual online gaming और real-money games (RMGs) अब रोज़ाना मन को हल्का करने का एक आम तरीका बन चुके हैं।
यह वो आराम नहीं है जिसमें लोग घंटों कंसोल पर गेम खेलना होता है। बल्कि यह दिन में 3 से 4 छोटे-छोटे गेमिंग सेशन होते हैं, जो लगभग 11 मिनट तक चलते हैं। लोग लंच के वक्त, सफर करते हुए या मीटिंग शुरू होने तक इंतज़ार करते समय गेम खेलने के लिए थोड़ा समय निकालते हैं।
आज के भारतीय गेमर्स इन गेमिंग ऐप्स को इतनी आसानी से इस्तेमाल करते हैं जैसे ये उनकी रोज़मर्रा की आदत हो। शतरंज, वर्चुअल क्रिकेट और इंडियन रम्मी जैसे गेम्स अब चाय ब्रेक के लिए सबसे अच्छे साथी बन गए हैं। ये बदलाव हमें इंडिया में माइक्रो एंटरटेनमेंट के फ्यूचर की एक झलक दिखाता है — और वो भी काफ़ी खास।
छोटे लेकिन बार-बार खेले जाने वाले गेमिंग सेशन्स
भारत में ज़्यादातर मोबाइल गेमर्स दिन में कई बार खेलते हैं — वो भी जल्दी-जल्दी, छोटे सेशन्स में। ये लोग अक्सर इन गेम्स पर वापस आते हैं, बस कामों के बीच थोड़ा टाइमपास करने या एक जैसे वर्कडे की बोरियत तोड़ने के लिए। ये पैटर्न एक गहरी बात की ओर इशारा करता है। ये दिखाता है कि गेमिंग अब सिर्फ एक अलग से किया जाने वाला रिक्रिएशनल एक्टिविटी नहीं रही — ये लोगों की डेली रूटीन का एक ज़रूरी हिस्सा बन चुकी है।
आंकड़े बताते हैं कि जब इन छोटे-छोटे कैज़ुअल मोबाइल गेमिंग सेशन्स को जोड़ा जाए, तो ये रोज़ाना करीब 46 मिनट का गेम टाइम बनता है। पहली नज़र में ये दिन का सिर्फ़ 3% लगता है — शायद बहुत कम। लेकिन जब आप ध्यान से देखें कि ये आदत कितनी बिखरी हुई और अचानक से होती है, तो साफ़ हो जाता है कि गेमिंग अब सिर्फ़ शौक नहीं, बल्कि एक आदत बन चुकी है।
करीब 12% स्मार्टफोन यूज़र्स हर दिन अपने पसंदीदा गेम्स खेलते हैं। जो लोग रेगुलर प्लेयर हैं, उनके बीच गेमिंग की फ़्रीक्वेंसी भी काफ़ी ज़्यादा होती है — फिर चाहे जेंडर कोई भी हो। दरअसल, 72% महिला गेमर्स दिन में कई बार क्विक राउंड खेलने के लिए लॉग इन करती हैं, उतनी ही बार जितना पुरुष प्लेयर्स।
जो कमिटेड प्लेयर्स हैं, वो सिर्फ़ इन माइक्रो-सेशन्स के लिए ही डेडिकेटेड नहीं हैं — वो इसमें पैसे भी लगा रहे हैं। करीब 25% गेमर्स, यानी लगभग 14.8 करोड़ लोग, इन गेम्स पर कैश खर्च कर रहे हैं। कैश रम्मी जैसे फॉर्मैट्स, जो यूज़र्स को बार-बार वापस खींच लाते हैं, ऐसे प्लेयर्स के लिए परफेक्ट एस्केप बन गए हैं जो रोज़ाना की हल्की-फुल्की डिस्ट्रैक्शन ढूंढ रहे हैं।
समय और पैसों के हिसाब से देखें, तो साफ़ है कि गेमिंग अब विशिष्ट शौक नहीं रही, बल्कि रोज़ का मनोरंजन बन गई है।
अब चाय ब्रेक भी हो गया है डिजिटल
जब दोबारा ध्यान से देखें, तो समझ आता है कि दिनभर के छोटे-छोटे ब्रेक्स में मोबाइल गेम्स का दबदबा यूं ही नहीं है। ये इतने छोटे होते हैं कि आराम से उन पलों में फिट हो जाते हैं। ये खास उसी तरह के ब्रेक्स के लिए बने हैं, जिन्हें पहले चाय, गपशप या लोगों को निहारने में बिताया जाता था। अब ये छोटे ब्रेक्स भी डिजिटल हो गए हैं। रम्मी जैसे गेम्स — जैसे कि RummyTime ऐप पर rummy online — उन छोटे-छोटे मौकों को भर देते हैं जो मीटिंग्स के बीच, लाइन में खड़े होने पर, या काम के बाद थोड़ा रिलैक्स करने के दौरान मिलते हैं।
गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के डेटा से पता चलता है कि यूज़र्स आमतौर पर दिन में चार बार तक जल्दी-जल्दी गेमिंग के लिए वापस आते हैं। आम सोच के उलट, ये सिर्फ पासिव चेक-इन नहीं होते। ये एक व्यवस्थित व्यवहार बन चुके हैं। पैटर्न्स से पता चलता है कि गेमिंग अक्सर leisure के समय के साथ मेल खाती है। 30% मोबाइल गेमर्स शाम के वक्त एक्टिव होते हैं, और 23% देर रात में। ये सामान्य छोटे ब्रेक्स तो नहीं हैं, लेकिन भावना के लिहाज़ से वही काम करते हैं।
यह बदलाव, जिसमें लोग 10 मिनट के छोटे ब्रेक्स और लंबे रिलैक्सिंग समय में कम मेहनत वाले गेम्स खेल रहे हैं, एक बात साफ़ बताता है: कैज़ुअल गेमिंग धीरे-धीरे औसत भारतीय के लिए एक जाना-पहचाना आराम देने वाला काम बन गया है।
रम्मी, रियल मनी और रियल पहुँच
जब कैज़ुअल गेमिंग भारत के चाय ब्रेक्स में छा गया है, तो कैश रम्मी और दूसरे ऑनलाइन रम्मी गेम्स इस क्षेत्र में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं। इसका कारण आसान है — लगभग सभी भारतीय मोबाइल गेमर्स कैज़ुअल या कार्ड-बेस्ड गेम्स खेलते हैं। आंकड़ों के हिसाब से, यह 99% से भी ज्यादा गेमर्स को दर्शाता है।
आरएमजी यानी रियल मनी गेम्स भी खासे लोकप्रिय हैं। ये अब भारत के गेमिंग मार्केट का 63% हिस्सा बना चुके हैं, और ऑनलाइन रम्मी इस सेक्टर में बहुत बड़ा रोल निभा रहा है। सिर्फ़ 2024 में ही इस गेम ने ₹16,000 करोड़ का ग्रॉस रेवेन्यू कमाया, जो पिछले साल से 6% ज्यादा है। इतना बड़ा मार्केट सिर्फ वीकेंड खिलाड़ियों से नहीं बनता। इसे रोज़ाना के यूज़र्स चलाते हैं, जो जल्दी-जल्दी एक राउंड खेलने के लिए लॉग इन करते हैं — जो आसान भी लगता है और इनाम भी देता है।
इस ट्रेंड की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये मिनी-ब्रेक्स में कौन खेल रहा है। अब ये सिर्फ़ मेट्रो शहरों या पुरुषों तक सीमित शौक नहीं रहा। करीब 66% गेमर्स अब बड़े मेट्रो के बाहर रहते हैं, और 44% गेमर्स महिलाएं हैं। दिलचस्प बात ये है कि महिलाएं प्रति सेशन में पुरुषों से दोगुना टाइम बिताती हैं, हालांकि उनका कुल रोज़ाना गेमिंग टाइम लगभग बराबर होता है।
कैज़ुअल गेम्स अब सीरियस बिज़नेस बन गए हैं
दिन के छोटे-छोटे पलों में कैज़ुअल गेम्स सबसे पसंदीदा एक्टिविटी बनने की वजह है कि जब लोग बोर होते हैं या रिफ्रेश होना चाहते हैं, तो ये छोटे गेम्स उनके लिए सबसे आसान और फास्ट तरीका बन जाते हैं। सर्वे बताते हैं कि 47% कैज़ुअल गेमर्स सिर्फ़ मज़े के लिए खेलते हैं, वहीं 40% सीरियस गेमर्स इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर स्ट्रेस कम करने के लिए आते हैं।
युवा यूज़र्स के बीच मोबाइल गेमिंग अब भावनात्मक राहत से जुड़ती जा रही है। कई लोग कहते हैं कि वे स्ट्रेस और एंग्जाइटी को मैनेज करने के लिए खेलते हैं, खासकर जब दिन बहुत भारी लगे। औसतन 11 मिनट के सेशन्स में ये गेम्स बिल्कुल सही लगते हैं; ये इतने लंबे नहीं होते कि दिन में रुकावट आए, लेकिन इतने होते हैं कि मूड ठीक कर सकें।
और क्योंकि ये गेम्स इतना आसान और तेज़ी से उपलब्ध हैं, ये छोटे-छोटे रिवाज बन गए हैं। खिलाड़ी दिन में कई बार वही गेम्स खोलते हैं, न कि नएपन के लिए, बल्कि आराम और सुकून के लिए। कैश रम्मी और ऐसे ही दूसरे जाने-पहचाने फॉर्मैट अब रोज़ाना की आदत बन गए हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे चाय, जिसे लोग अपने सबसे व्यस्त समय में भी आराम से शामिल कर लेते हैं और दिन में कई बार इसका आनंद लेते हैं।