बड़ी खबर (उत्तराखंड) वन कर्मियों का धरना प्रदर्शन जारी. इन मांगों को लेकर वन कर्मियों का चल रहा है कार्य बहिष्कार ।।


सरकार से मांगे मनवाने के उद्देश्य से एक सुर में गरजे वनकर्मी
उत्तराखंड वन बीट अधिकारी/वन आरक्षी संघ के प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर 13 फरवरी 2025 से शुरू हुए कार्य बहिष्कार और धरना प्रदर्शन का आयोजन 15 फरवरी 2025 को हल्द्वानी के अरण्य भवन, रामपुर रोड पर तीसरे दिन भी जारी रहा। यह प्रदर्शन पश्चिमी वृत्त, तराई पूर्वी वन प्रभाग, हल्द्वानी, तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर और हल्द्वानी वन प्रभाग हल्द्वानी के वन बीट अधिकारियों और वन आरक्षियों द्वारा किया गया। इस दौरान उन्होंने अपनी मुख्य मांगों को रखा, जो निम्नलिखित हैं:

  1. वर्दी में एक स्टार की स्वीकृति – वन बीट अधिकारियों और वन आरक्षियों को अपनी वर्दी में एक स्टार धारण करने की अनुमति दी जाए।
  2. वन सेवा नियमावली 2016 को पुनः लागू करना – वन सेवा नियमावली 2016 को पूर्व की तरह लागू किया जाए।
  3. वन दारोगा पदों पर नई भर्ती का अध्यादेश वापस लेना – वन दारोगा के पदों पर नई भर्ती के लिए जारी अध्यादेश को वापस लिया जाए।
  4. अतिरिक्त वेतन की मांग – पुलिस सिपाहियों की तर्ज पर वन बीट अधिकारियों और वन आरक्षियों को भी वर्ष में एक महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाए।
  5. HRA (हाउस रेंट अलाउंस) की मांग – वन चौकियों में रह रहे वन बीट अधिकारियों को HRA (हाउस रेंट अलाउंस) दिया जाए।

इस अवसर पर वन बीट अधिकारी संघ के तराई पूर्वी वन प्रभाग के अध्यक्ष गुरविंदर सिंह, केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर के अध्यक्ष किशन सनवाल, हल्द्वानी वन प्रभाग के अध्यक्ष भुवन चंद्र पनेरु, महामंत्री तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर नवल किशोर, और ममता गोस्वामी (महिला उपाध्यक्ष, हल्द्वानी वन प्रभाग) के अतिरिक्त हरीश बिष्ट, लोकेश कुमार, गीता कालाकोटी, मेनका, सूरज कुमार, महिपाल सिंह, देवेन्द्र मेहरा, विनोद मेहता, भुवन चन्द्र तिवारी, नीरज खनायत, राहुल पाठक, प्रमोद जोशी सहित सैकड़ों वन बीट अधिकारी और आरक्षी उपस्थित रहे।

इस प्रदर्शन में लगभग 250 वन बीट अधिकारी और वन आरक्षी शामिल हुए, जिन्होंने अपनी मांगों को लेकर एकजुटता दिखाई। यह प्रदर्शन वन विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
आपको बताते चलें कि वन सम्पदा के रक्षक वन बीट अधिकारी एवं वन आरक्षी के हड़ताल पर चले जाने के कारण जहाँ एक तरफ वन सम्पदा की चोरी की आशंका हैं वहीं अवैध खनन की घटनाओं में वृद्धि से भी इंकार नहीं किया जा सकता हैं.
आंदोलनरत कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि बिना मांग माने वों काम पर वापस नहीं जायेंगे. पूर्व में भी सरकार द्वारा सिर्फ आश्वासन देकर उनके साथ छल किया हैं जिसकी वों पुनरावृति नहीं देखना चाहते.

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